Wednesday 28 January 2015

Public है ये सब जानती है


आज सुबह-सुबह में उठ तो गया मगर ठंड को देखते हुए रजाई से बाहर निकलने का मन ही नहीं हुआ सोचा,राज का फ़ोन आएगा तब उठुगा और घूमने जाऊगा फ़ोन तो नहीं आया! हाँ थोड़ी देर बाद मैसेज जरूर आया! लिखा था"भाई आज बहुत ठंड है मैं तो नहीं आ रहा,तुझे जाना है तो जा" पहले तो मैने भी सोचा कौन रजाई से निकले,मुँह धोये और घूमने जाये फिर अचानक मुझे मेरी बाहर आती तोंद का ख्याल आया और मैने सोने का त्याग किया और अकेला ही घूमने निकल गया ! 

न जाने क्यों आज सुबह-सुबह मुझे अपनी नहीं बल्कि देश की चिंता होने लगी और मैं मन ही मन सोचने लगा की क्या होगा इस देश का ? यहाँ कोई कुछ समझता ही नहीं कितना कुछ गलत हो रहा है और यही सब सोचते सोचते कब मैं' घर से निकलकर चौराहे पर पहुंच गया कुछ पता ही नहीं चला! जब मै चौराहे पर पंहुचा तो मैने देखा चाय की दुकान पर दो मजदूर ठंड से बचने के लिए आग तापते हुए पेपर पढ रहे थे मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ और ख़ुशी भी की चलो बढ़िया है देश तरक्की कर रहा है ! मैने देखा वो इतने परेशान दिख रहे थे मानो उनके ऊपर घर चलाने की नहीं बल्कि देश चलाने की जिम्मेदारी हो"वैसे भी आज की मँहगाई के ज़माने में देश चलाना आसान है घर चलाना मुश्किल" खैर मैने उनसे तो कुछ नहीं कहा बस एक चाय का गिलास उठाया और उनकी बाते सुनने उनके पास वाली चेयर पर बैठ गया ! उन्होंने भी मेरी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और आपस में बतियाते हुए बोले"देखो भैया पेपर में लिखा है Crude के दाम कम होने पर भी पेट्रोल और डीजल के दामो में कोई कटौती नहीं हुई,क्योकि अपनी सरकार ने अपना हिस्सा बड़ा दिया और अब सरकार प्रतिशत के हिसाब से नहीं बल्कि प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर अपना टैक्स लेगी और अपनी बैंड बजेगी क्योकि अब कल अगर पेपर में आया की सब्जियों के दाम कम हो गए है तो सब यही कहेंगे! पेपर में आया है टमाटर 20 रुपए किलो है आप 40 रुपए किलो बेच रहे हो इतनी लूट अच्छी नहीं भैया! अरे अब इन पढ़े-लिखो बेवकुफो को कौन समझाए की माल मंडी तक और मंडी से हमारी दुकानो और ठेलो तक तो रिक्शों और ट्रको से आता है न! सब्जी के दाम भले ही कम हो गए हो मगर सरकार ने पेट्रोल के भाव बढ़ाकर भाड़ा तो बड़ा दिया ना ये किसी को दिखेगा नहीं बस सब हमें ही लुटेरा समझेगे! 

तभी उसका साथी बोल पड़ा सच कहते हो भैया ये सरकार भी केवल सिगरेट और शराब पर टैक्स बढ़ाती है उन्हें बंद नहीं करती! पता है अपने बंसी काका का बेटा अभी 2 महीने पहले ज्यादा नशा करने के कारण मर गया "क्या करे भैया पीने वाले को मना करो तो वो मानता नहीं, और सरकार रोकती नहीं बस टैक्स बढ़ा देती है तो सिगरेट शराब मँहगी हो जाती है,पर इससे पीने वाले को क्या वो तो घर पर मार-पीट करके पैसे ले ही जाता है और पीता है ! फिर दूसरी तरफ धूम्रपान स्वास्थ के लिए हानिकारक है ऐसे विज्ञापन आते रहते है! अरे हम तो कहते है की जब मिलेगी ही नहीं तो ससुरा कोई पियेगा कैसे और जब पियेगा ही नहीं तो मरेगा नहीं !
बोल तो ठीक रहे हो भैया लेकिन करे क्या ऊपर सबको पैसा मिलता होगा इसलिए चलने देते होगे बेचारी जनता जिए या मरे इससे उन्हें क्या?वैसे भी अपने को तो वो 5 साल में एक ही बार याद करते है और तभी अपने पर जी भरकर पैसा भी लुटाते है !अरे वो क्या सोचते है क्या हम जानते नहीं की ये छुटपुट नेता जिन्हे सरकार की तरफ से तनखाह के नाम कोई 20-25 हज़ार मिलते होगे क्यों चुनावो में लाखो रुपए खर्च करते है? ऊपर से बोलते है हमें चुनो हम आपका भला करेंगे अरे हमारा भला करोगे या अपनी जेबे भरोगे! 

अरे हम तो 5वी से ज्यादा पड़े नहीं भैया तब भी इतना जानत है की गलत हो रहा है तो क्या ये बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले अफसरों को ये सब नहीं दिखता है क्या ?

अरे दिखता है भैया बस कोई कुछ कहता नहीं ! 
 क्यों ? 
अरे ये क्यों क्या छोड़ अपन चले पहले रोजी-रोटी की जुगाड़ करे वरना कल अख़बार में खबर आएगी देश ने तरक्क़ी की मगर हकीकत में अपने जैसे गरीबो के यहाँ चुल्ले भी नहीं जलेंगे !

Finally इतने बड़े discussion के बाद वो दोनों वहां से चले गए अब मुझे समझ आ रहा था की मैं गलत था जानते सब है बस कोई कुछ कर नहीं सकता ! 

 खैर किया तो मैने भी कुछ नहीं बस चाय वाले को पैसे चुकाए और"ये जो पब्लिक है ये सब जानती है ये जो पब्लिक है" गाना गुनगुनाते हुए घर आ गया !

हाँ उनका आखिर शब्द "क्यों"अब भी मेरे दिमाग में घूम रहा है !  



   


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