Tuesday 23 December 2014

लड्डू


 नहीं पापा क्या करेंगे चलकर आपको तो पता ही है मैं ऐसी जगहों पर बोर हो जाता हूँ -राज ने अपने पापा से कहा
पापा ने राज को समझाया बेटा ऐसा नहीं बोलते 26 जनवरी का कार्यक्रम तो देखना ही चाहिए वहां देशभक्ति के गीत होगे,भाषण होगे, हाँ तुम्हे आखिर में लड्डू भी मिलेगा!
               

राज जाना तो नहीं चाहता था न ही उसका पापा की बात मानने का कोई मन था! मगर जैसे ही पापा ने लड्डू   का नाम लिया तो राज झट से पापा के साथ चौराहे पर हो रहे "एक शाम भारत माँ के नाम " देखने चलने के लिए तैयार हो गया! राज आ तो गया मगर उसका मन वहाँ नहीं था उसे इंतज़ार था तो बस इस बात का की कब नेताजी अपना भाषण खत्म करें और उसे लड्डू मिले जिसके लिए वो यहाँ आया था! इसीलिए जब से वह वहाँ आया उसने नेताजी के भाषण सुनने से बढ़िया गाने सुनने में Interest लिया और मोबाइल पर गाने सुनने  में बिजी हो गया! इधर नेताजी देश की बेरोजगारी,गरीबी असमानता ऐसे बड़े बड़े मुद्दो पर भाषण दे ही रहे थे कि दूसरी तरफ एक बच्चे ने आकर राज के साथ खेलना शुरू कर दिया और जैसे ही राज ने बच्चे को गोद में उठाया की बच्चे ने राज के कानो में लगे ईयरफोन को मोबाइल से जुदा कर दिया जिससे पंडाल में जहा अब तक शांति और केवल नेताजी का भाषण ही सुनाई दे रहा था! वही अब "उल्लाला -उल्लाला " की आवाजे गुजने लगी!

जिसे सुनकर नेताजी ने गुस्से से राज  की और देखा और सारे कार्यकर्ता भी राज की और लपके क्योकि उनके हिसाब से ये उनके नेताजी का अपमान था की कोई उनके भाषण के बीच गाने सुन रहा था! मगर इससे पहले वे कुछ करते पापा ने राज को डाट लगाई और उसका मोबाइल छीनकर उसे बंद करके अपनी जेब में डाल लिया!

भाषण ख़त्म हुआ और भाषण के खत्म होने पर पार्टी कार्यकर्ताओ ने सभी आने वालो को 1-1 लड्डू देने की व्यवस्था कर रखी थी! जिसके चक्कर में ही सारा पंडाल नेताजी का भाषण सुनने आया था! लड्डू लेने के लिए सभी को एक लाइन से जाना था इसलिए राज भी अपने पापा के साथ लाइन में खड़ा हो गया और लाइन के साथ-साथ आगे बढ़ने लगा! जब राज आगे बढ़ रहा था तो उसने नेताजी को किसी बूढ़े आदमी पर चिल्लाते सुना "वे अपने चमचो से कह रहे थे इस बूढ़े को किसने घुसने दिया बाहर करो इसे और तभी नेताजी की आज्ञा का पालन करते हुए एक चमचे ने उस बूढ़े आदमी को लाइन से धक्का दे दिया! बूढ़ा बेचारा एक गड्डे  में जा गिरा! इधर लाइन अब भी अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ रही थी किसी ने उस बूढ़े की और ध्यान नहीं दिया! हाँ राज कुछ कहना चाहता था पर पापा ने उसे रोक दिया और अपनी जेब से मोबाइल निकालकर राज को दे दिया! मोबाइल पाकर राज खुश हो गया और गाने सुनते-सुनते लाइन के साथ आगे बढ़ने लगा और बढ़ते-बढ़ते वो अब लड्डू बाँट रहे नेताजी के सामने पहुंच गया! नेताजी ने अपना मुँह टेड़ा करते हुए राज के हाथ में एक लड्डू थमाया और दुबारा अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए लड्डू बाटने में बिजी हो गए!

राहुल जैसे ही भीड़ से अलग हुआ उसने पापा से भी उनका लड्डू मांगा! पापा ने बड़े प्यार से अपने बेटे के सर पर हाथ फेरा और उसे लड्डू देकर स्कूटर लेने चले गए! अब राज दोनों लड्डूओ को अपनी मुठ्ठी में बांधकर उसी बूढ़े आदमी के पास गया और उसने अपना और पापा दोनों का लड्डू उस बूढ़े को दिया और उसे बाय बोलकर पापा के साथ स्कूटर पर बैठकर चला गया !             

Monday 22 December 2014

तू बुरा बन जा


राहुल और प्रिया की नई-नई शादी हुई और प्रिया जो अब तक अपने पापा के साथ अकेली रहती थी उसे राहुल का साथ पाकर एक पति के साथ ही एक परिवार भी मिल गया क्योकि जहाँ प्रिया के मायके में केवल उसके पिता थे वही राहुल का अपना पूरा हँसता खेलता परिवार था जिसमे उसके अलावा उसके मम्मी-पापा और एक छोटा भाई था ! वैसे तो राहुल का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था ! मगर फिर भी उसके घर में जरुरत की सारी चीजे मौजूद थी ! शुरुआत के दिनों में तो सबकुछ अच्छा चल रहा था और शुरू शुरू में जब कोई प्रिया की तारीफ भी करता तो राहुल को अपने आप पर गर्व महसूस होता! मानो इसका सारा श्रेय उसी को जाता हो जबकि जॉब और पैसा कमाने के चक्कर में वो इतना बिजी था की उसने अपने विवाह की सारी जिम्मेदारी अपने मम्मी-पापा को दे रखी थी ! हाँ लड़की फाइनल उसे करनी थी इसलिए वो केवल लड़की देखने जाता और अपनी शर्तो को हर लड़की के सामने रख देता! जैसी की शर्ते उसने प्रिया के सामने भी रखी थी! जिसे प्रिया ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था और राहुल और प्रिया की शादी हो गयी!

कुछ महीनो तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा! हाँ  राहुल और प्रिया में थोड़ी बहुत तकरार होती रहती जिसका कारण भी राहुल का गुस्सा ही था जो हमेशा उसकी नाक पर बैठा रहता था जिसके कारण  दफ्तर में भी उसका खौफ था और प्रिया भी उसका खौफ महसूस करती और इसीलिए जब कड़क आवाज में राहुल कुछ  कहता तो प्रिया चुपचाप उसकी हर बात मान लेती ! ऐसा नहीं था की राहुल नहीं चाहता था की घर में हमेशा खुशनुमा माहोल रहे !बल्कि वो तो सभी से बहुत प्यार करता और सबको खुश रखना चाहता था मगर उसका ग़ुस्सा उसके Control में नहीं था और इसकारण हर छोटी छोटी बातो पर उसका दिमाग ख़राब होता और वो चिल्लाने लगता!

शादी के कुछ दिन तो बड़े आराम से बीत गए मगर धीरे-धीरे साँस-बहु में हलकी फुल्की टकरार शुरू हो गयी जो वक़्त के साथ साथ बढ़ने लगी  फिर तो ये रोज का ही सिलसिला हो गया अब या तो प्रिया मम्मी के बारे में कुछ कहती तो कभी मम्मी प्रिया पर ताना कासी करती! वैसे तो राहुल इन सब बातो पर कम ही ध्यान देता मगर जब धीरे-धीरे बात बिगड़ने लगी तो राहुल भी अब इन सब बातो से परेशान रहने लगा! जिसका सीधा असर उसके काम पर ऐसा पड़ा की अपनी Sales Team  के Top Sales Person की गिनती में आने वाला राहुल पूरे महीने में एक से ज्यादा Sale नहीं कर पाया! राहुल की परेशानी अब उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी जिसे भापकर ही बॉस ने राहुल को रोककर साफ साफ कहा" यार राहुल क्या Problem अगर काम से Related कोई प्रॉब्लम हो तो बताओ और यार अगर तुम्हारी कोई पर्सनल प्रॉब्लम हो तो इसे जितना जल्द से जल्द हो सके सॉल्व  कर लो !
                         फिर बॉस ने बड़े प्यार से राहुल के सर पर हाथ रखते हुए कहा  याद रखो राहुल , हम सेल्स फील्ड में है यहाँ जो बेचता है उसी का सिक्का चलता है और सिर्फ उसी की इज्जत होती है तुम्हे भी इस बार किसी ने  कुछ नहीं कहा  तो इसका कारण भी तुम्हारा पिछले कई महीनो का बेस्ट परफॉर्मेंस है ! इतना बोलकर मुस्कुराते हुए राहुल के बॉस वहा से चले गए और राहुल भी अपना लटकता चेहरा लेकर घर लौट आया!

जब राहुल घर  पंहुचा तब प्रिया अपनी सास के साथ बाजार गई थी और घर में केवल राहुल के पापा थे जो उस वक़्त सोफे पर बैठे-बैठे अख़बार पढ़ रहे थे ! राहुल भी ख़ामोशी से अपने पापा के पास आकर बैठ  गया पापा की अनुभवी आँखो ने राहुल का चेहरा पढ लिया और फिर जैसे ही पापा राहुल के पास आए की राहुल एक छोटे बच्चे  की तरह पापा के कंधे पर सर रखकर रोने लगा और रोते -रोते ही उसने ऑफिस में हुई सारी बाते और उसके दुखी रहने का कारण भी पापा को बता दिया!

"तू बुरा बन जा " पापा ने केवल इतना कहा और राहुल का माथा चूमकर वहा से चले गए ! रात  भर राहुल पापा के  "तू बुरा बन जा" इस वाक्य  के बारे में सोचता रहा मगर उसे कुछ समझ न आया !

सुबह-सुबह जब राहुल ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था तभी किसी बात को लेकर वह प्रिया पर जोर-जोर से चिल्लाने  लगा जिसे सुनकर राहुल के मम्मी पापा भी कमरे में आ गए ! पापा ने राहुल को चुप रहने का इशारा किया और प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए बोले "क्या हुआ बेटा "? क्या बात है ? मगर प्रिया ने कोई बात नहीं पापाजी केवल  इतना कहा और खामोश हो गई!

 अरे कुछ  क्या नहीं एक काम भी टाइम पर नहीं करती दिनभर बैठी रहती है  इस तरह राहुल, मम्मी पापा के सामने ही प्रिया पर चिल्लाने लगा और उसे ताने देने लगा! राहुल अभी प्रिया पर चिल्ला ही रहा था की मम्मी ने प्रिया का बचाव करते हुए राहुल को डाटना शुरू  कर दिया !
                                      " चुपकर राहुल, खुद तो हाथ से एक गिलास पानी तक नहीं लेता बेचारी प्रिया ही सबका ध्यान रखती है दिनभर सबकी सेवा करती रहती है और तू है की इसे ही ताने दे रहा है! मम्मी के मुख से अपने लिए ये बातें सुनकर प्रिया की आँखे भर आई जब की राहुल अब प्रिया को छोड़कर मम्मी से लड़ने लगा और बोला " मम्मी आप रहने दो प्लीज अपना काम करो जब देखो तब………………… और इससे पहले राहुल कुछ बोलता प्रिया जो अभी तक चुप-चाप होकर राहुल की डाट -फटकार और ताने  सुन रही थी एक दम से जोर से चिल्ला उठी  चुप रहो आप, जब देखो तब कुछ न कुछ बोलते रहते हो ,क्या बोल रहे हो ? किसके बारे में बोल रहे हो कुछ समझ भी आता  है "ये मेरी माँ है",माँ , समझे अपनी सारी अफसरी अपने दफ्तर में छोड़कर आया करो ख़बरदार जो कभी मम्मी पापा से ऊची आवाज में बात की तो और इतना कहकर प्रिया अपनी सास के गले लगकर रोने लगी !
तभी पापा राहुल का हाथ पकड़कर उसे कमरे से बाहर ले आये कमरे से बाहर निकलते वक़्त राहुल ने अपने पापा की तरफ देखा तो वे मुस्कुरा रहे थे क्योकि उनके बेटे ने उनकी बात का मर्म जो समझ लिया था!





Monday 1 December 2014

लत लग गई -लग गई


सुबह सुबह की सैर वाकई बहुत अच्छी होती है और मेरे लिए तो ये कुछ ज्यादा ही अच्छी है! क्योकि मुझे ऐसा लगता है की दिन भर में एक वही समय होता है जब मेरा दिमाग Active होकर काम करता है!
वैसे भी जब में छोटा था तो अक्सर घरवाले कहा करते थे कि सुबह सुबह पढ़ाई किया कर सुबह सुबह का याद किया हुआ ज्यादा याद रहता है!फिर जैसे-जैसे मैं बड़ा होने लगा मुझे पता चला सुबह-सुबह घूमना ,योग करना ,Meditation करना,कसरत करना और भी न जाने क्या- क्या अच्छा होता है! धीरे-धीरे तो मुझे यही लगने लगा कि जब सभी कुछ सुबह-सुबह करना ही अच्छा होता है तो दोपहर में क्या केवल सोना अच्छा होता है !

खैर अब सब की बात मानकर सबकुछ तो नहीं कर सकते इसलिए मेरी आपको सलाह यही है की आप सुबह -सुबह वही काम करे जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हो और अगर कुछ समझ न आये तो मुँह धोकर मेरा Blog पड़ने बैठ जाइये अच्छा है न मुझे Blog लिखने की अादत हो जाएगी और आपको पढ़ने की!

चलो अब आप Blog पढ़ने  बैठ ही गए हो तो मैं आपको आज की Morning walk News सुना ही देता हुँ !
तो आज जब में चुप-चाप अपने दोस्त राज के साथ घूम रहा था की अचानक ही राज के दिमाग की Tubelight जली और वो मुझसे इस बात को लेकर Discussion  ( वैसे हमारा Discussion cum Argument होता है ) करने लगा!
 हमारे यहाँ Government जो सफाई कराओ,हेलमेट पहनाओ जैसे नियम बनाती रहती है उन्हें Foreign Countries  की तरह Implement में क्यों नहीं ला पाती ! उसने सड़क पर चलते 2-4 Rule Breaking  के Live   Example भी बताये ! मगर जब मैने उसकी बात पर React नहीं किया तो खुद ही कहने लगा हाँ यार अपने यहाँ कोई सुधारना ही नहीं चाहता कितना भी करो 4 दिन जुम्मा-जुम्मा असर रहता है फिर वही  हाल बेचारी Government करे भी तो क्या करे?

 मैं अब भी खामोश था तो राज चिढ़ते हुए बोला" अबे कुछ तो बक मैं तुझसे ही बात कर रहा हुँ  मन में बड-बड  नहीं कर रहा बता तुझे क्या लगता है क्या कभी Government  की ये योजनाऍ Successful हो सकती है-अबे कुछ तो बक राज ने दोबारा चिढ़ते हुए कहा

मैं जनता था की अब तक वो अपने मन की सारी  भड़ास निकल चूका है तो मैने बिना उससे कुछ कहे Race-2 मूवी का गाना गुनगुना शुरू कर दिया " मुझे तो तेरी लत लग गई-लग गई जमाना कहे लत ये गलत लग गई मुझे तेरी ……………

मैने जैसे ही गाना शुरू किया की राज चिढ़कर वहा से जाने लगा तो मैने उसे रोका और उसके Discussion cum Argument का हिस्सा बनते हुए बोला देख,बात सिर्फ लत की होती है अब लत चाहे अच्छी हो या बुरी मगर अगर एक बार लोगो को लत लग जाती है तो लोग अपने आप वो काम करने लग जाते है!
अगर Government  भी चाहती है की लोग नियमो का पालन करे तो उन्हें पहले लोगो को इसकी आदत डालना होगी! एक बार आदत में आने के बाद लोग अपने आप मानने  लगेंगे! मेरे इस 2 min के छोटे से भाषण को सुनकर राज ने जो Expression बनाये वो मुझे इतना बताने के लिए काफी थे की उसे मेरी बात बिलकुल भी समझ नहीं आई है !

फिर मैने उस Techno-Friendly  कीड़े को उसी की भाषा में समझाया की देख सब आदत की बात होती है ! सन 2000 में Mobile आया,2007 में Facebook आया,2011 में Android Mobile और What'app आए और अभी इस साल जब से Selfi  की demand Market में बढ़ी तब से ऐसे Mobile आ गए की आँखे झपकाओ और Selfi Ready तो तुझे क्या लगता है companies ने क्या किया केवल इतना ही ना की पहले कुछ Rate कम रखे थोड़ा बहुत Marketing Promotion किया और आज देख ये सभी हमारी Life के कितने Imp part बन गए है!
अब तू देख अब लोग Mobile ,Facebook,What'app,Selfi  इन चीजो के बिना अपना जीवन अधूरा मानते है जैसे आज से 15 साल पहले जब ये सब चीजे नहीं थी तो कोई जीता ही नहीं था मगर आज हालत ये है की बंदा खाने के बिना रह सकता है,घर में अकेला रह सकता है पर अपने Mobile से दूर रहने का दर्द कोई नहीं सह सकता !

अबे तू दूर क्यों जाता है अपने आप को ही ले  क्या आज तू FB, What'app के बिना रह सकता है!
तेरी खुद की हालत ये है की Photo खिचवाने से पहले तुझे उसे post करने की जल्दी रहती है! कभी-कभी तो मुझे शक होता है की तू Photo भी अपने लिए खिचवाता है या Facebook Likes के लिए!

अबे क्या बोल रहा है Mobile और Helmet में कोई Comparison  हो ही नहीं सकता Mobile Mobile है और  Helmet,Helmet और अगर ऐसा कुछ है तो बता राज के Expression साफ बता रहे थे की उसको मेरा यु Mobile को Helmet से Compare करना अच्छा नहीं लगा !

यार देख,जब Mobile को Market में चलाना था तो company ने क्या किया उनके Rate  कम किये Customer  को Mobile के नए-नए फायदे बताये Market  होने पर Mobile अपने आप बिकने लगा वैसे ही अभी तू देख जब से Helmet भी Compulsory बनाने की मुहीम शुरू हुई है तब से शहर के हर फुटपाथ पर देख Helmet बिकने शुरू हो गए है!अगर Government  भी कुछ ना करे बस उसे सिर्फ1साल के लिए ही100 % सबके लिए (जो 2 Wheeler चला  रहा हो ) Compulsory कर दे तो अपने आप सबकी आदत पड जाएगी फिर आप नहीं भी कहोगे तो भी लोग बाजार से खरीदकर पहन ही लेंगे !

हाँ जैसे कंपनी अपने Rate कम करती है ताकि आपको शुरू में उसकी आदत लग जाये वैसे ही सरकार को भी पहले Fine जरूर 25-50 रुपए रखने होगे उससे फायदा ये होगा कि लोग 25-50 रुपए Fine होने से Policewalo को side में ले जाने से तो Fine भरना ही ठीक समझेगे तो Corruption कम होगा और हमारे नेताओ को भी कोई 25-50 रुपयो बचाने  के लिए परेशान नहीं करेगा और सोचेगा रोज-रोज लेट होने और 25-50 देने से तो अच्छा है की कही फुटपाथ से ही सही 300-500 का एक Helmet खरीद के पहन लेता हूँ जैसा का अपन दोनों ने कल सोचा और हेलमेट पहनने लगे !

इतना कहने के बाद में दुबारा लत लग गई गाना गुनगुनाने लगा और राज से बोला देख गाना एक दम सही है अगर किसी को एक बार लत लग जाये तो वो इतनी आसानी से नहीं छूटेगी इसलिए अगर Government सच में चाहती है तो सिर्फ एक बार लोगो को उसकी आदत डाल दे और जैसे Company हमेशा बताती रहती है की हमारे Product के बिना तो आपका जीवन अधूरा है और धीरे-धीरे Customer  भी ये ही  मानने लगता है वैसा ही अगर Government भी करने लगे तो आज नहीं तो कल ये हो ही जायेगा की सब लोग Helmet पहनने लग ही जायेगे और आपको उन्हें जबरन पहनाना  नहीं पड़ेगा बल्कि उन्हें पहनने से मना किया तो उन्हें Problem होगी !

जैसे आज FB ,What'app जैसी SNS site अगर अपनी Services बंद कर दे तो लोग आधे पागल हो जायेगे वो उनके लिए जरुरी नहीं है मगर अब उन्हें इसे Use करने की लत पड चुकी है और ये लत है एक बार अगर लग गई तो फिर आसानी से नहीं छूटती!

अब यही देखो ना मुझे Blog  लिखने की लत लग है और आपको उसे झेलने की और ये लत है भई आसानी से छूटेगी नहीं!