Thursday 1 January 2015

" रोटी मत दो, रोटी बनाने दो "



कल दोपहर को जब मैं बोर हो रहा था तो अपनी Favorite Movie OMG लगाकर बैठ गया! उसके एक सीन में परेश रावल जब सड़क से गुजरता है तो एक बच्चा अल्लाह के नाम पर कुछ दे दे, इस Style में भीख मांगता है! तब परेश रावल उससे कहता है की "ये अल्लाह के नाम पर भीख मांगना बंद कर दे भाई, और कुछ मेहनत का काम कर तो अल्लाह भी खुश होगा" ऐसा कहकर और उसके कटोरे में 500 रुपए का नोट डालकर वो आगे बढ़ जाता है ! फिर मूवी के End में बताया की वो बच्चा Boot Polish का काम करने लगता है!

जब ये सीन ख़त्म हुआ तो मुझे हैदराबाद के मेरे पडोसी राज भैया और उनका बनाया हुआ वो Concept सही लगने लगा की " रोटी मत दो,रोटी बनाने दो "

भैया अक्सर कहा करते थे की हमारे यहाँ किसी को रोटी नहीं देते ( I Mean Paise) बल्कि रोटी बनाने का सामान दे देते है ( I Mean Job ) और फिर उस सामान की मदद से वो बंदा खुद भी रोटी खाता है और हमें भी खिलाता है और एक बार उसे रोटी बनाते आ गई तो वो हमारे पास रहे या कही और वो कभी भूखा नहीं मरता!

मुझे याद है की तब मुझे उनकी बात पूरी तरह से समझ नहीं आई थी इसलिए मैने उनसे कहा भी था की क्या भैया कुछ भी कहते हो? "मदद तो मदद ही होती है,"चाहे पैसे की करो या काम की "बस मदद करने की नियत होना चाहिए!

 मगर राज भैया भी कहा मानने वाले थे बोले देख, ऐसा नहीं है तुझे क्या लगता है मदद करना भी क्या हमेशा अच्छा होता है

हाँ : मैने मुंडी हिलाते हुए कहा!

नहीं भाई ऐसा नहीं है सब यही सोचते है यहाँ तक की हमारी सरकार भी यही सोचती है तभी तो वो गरीबो को 1 रुपए किलो में गेहूँ, 2 रुपए किलो में चावल,एक बत्ती मुफ्त कनेक्शन और भी न जाने क्या क्या बाटत्ती रहती है! 

अरे क्या भैया आप भी,सरकार बेचारी अगर गरीबो को कुछ दे कर उनका भला कर रही है तो इसमें आपको क्या प्रॉब्लम है-मैने थोड़ा चिढ़ते हुए कहा 
        
 बोले देख,तू समझ इसमें सबका नुकसान है मदद पाने वाले का भी और देने का भी !

 क्योकि अगर उन्हें हर चीज़ मुफ्त के भाव में मिलने लगी तो वे काम ही क्यों करेंगे? अरे इसीलिए तो ये हालत है की एक तरफ आप बेरोजगारी का रोना रोते रहते हो तो दूसरी तरफ हम दुकानदारो को दुकानो पर काम करने वाले मजदूर नहीं मिलते ! ऐसा इसलिए होता है क्योकि जब उन्हें सब कुछ मुफ्त में ही मिल जाता है तो वो जबरजस्ती हमारे यहाँ आकर अपना पसीना बहाना ठीक नहीं समझते ! तो अगर सरकार चाहती है की सच में गरीबी मिटे तो उन्हें सभी को काम देने पर ध्यान देना होगा न की सामान देने पर !
  
तो चलो आप ही बताओ की क्या करना चाहिए? 

अरे करना क्या देख, हम भी अपने लोगो को गाँव से यहाँ लाते है,यहाँ लाकर हम उन्हें काम सिखाते है, फिर उन्हें काम देते है कुल मिलकर अगर में Short में कहु तो हम उन्हें "रोटी नहीं देते बल्कि रोटी बनाने देते है"!
अभी तूने कहा न की दौनौ में क्या फर्क है तो मैं तुझे बता दु की रोटी देने और रोटी बनाने देने में बहुत फर्क है!

क्योकि रोटी दे देने से रोटी मागने वाले की ,मागने की आदत हो जाएगी और अगर एक बार उसे रोटी मागने की आदत पड़ गई तो फिर वो हमेशा मांग कर ही खाना चाहेगा ! (क्योकि ये आसान है) 

जबकि रोटी बनाने देने I mean काम देने से होगा ये की एक तो उसे उसकी असली कीमत समझ आएगी! दूसरा खुद के दम पर रोटी पाने से उसमे Confidence भी बढ़ेगा और वो अपने को किसी लायक भी समझेगा और सारी ज़िन्दगी आराम से कमाकर खाएगा !

दूसरा फायदा बताते हुए भैया ने कहा की रोटी तो चाहे कितनी भी दो कभी न कभी तो खत्म हो ही जाएगी !(मदद चाहे 10,000 की करो या 50,000 की)  एक न एक दिन तो पैसे खत्म होने ही है और उनके खत्म होते ही मदद मागने वाला दोबारा हाथ फैलाने लगेगा ! इससे तो अच्छा ये है की जिसकी आप 10,000 की मदद करने वाले थे उसी को 5,000 रुपए का काम दिलवा दो इससे फायदा ये होगा की वो सारी ज़िन्दगी उस काम से कमाकर खायेगा और रोटी बनाने ( काम देने वाले ) में मदद करने वाले का ज़िन्दगी भर अहसान मानेगा ! इसमें एक अच्छी बात और ये भी होगी की रोटी देने (काम देने) वाले के मंन में भी कभी ये नहीं आएगा की साला मुफ्त की रोटिया तोड़ रहा है !

आखिर में बोले भाया हमारे यहाँ कहते है की अगर किसी बेसहारा बूढ़े व्यक्ति की मदद करना, उसे रोटी खिलाना पुण्य का काम है तो किसी हट्टे कट्टे को बिठाकर रोटी खिलाना पाप का ! 

क्योकि ऐसा करके आप उस इंसान की तरक्क़ी रोक देते हो! 

मैं अभी राज भैया की इन सब बातो को याद कर ही रहा था कि राज भैया का हैदराबाद से कॉल आ गया और मैं रोटी बनाने ,खाने की इन बातो को छोड़कर राज भैया से बाते करने में बिजी हो गया!



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