Tuesday 9 September 2014

सब्जी Vs Book & Movie



कल शाम को जब में काम करके थक गया और बोर हो रहा था तो मैं किचन में पहुंच गया जहा पहले ही मेरी मम्मी और वाइफ मौजूद थी! जो शायद सब्जी बनाने की तैयारी कर रही थी ! अब में फ्री तो था ही इसलिए मैं भी किचन में ही बैठ गया सोचा कुछ नहीं तो चलो यही देखते है की सब्जी कैसे बनती है  !

 जब में उन्हें सब्जी बनाते देख रहा था तो मुझे ऐसा महसूस हुआ की यार सब्जी बनाना भी तो किसी मूवी की स्क्रिप्ट या किताब लिखने जैसा ही काम है और सब्जी बनाने के जिस काम को अब तक मैं आसान समझ रहा था मुझे समझ अाया की उसमे भी उतने ही कोम्प्लिकेशन है जितने की एक स्क्रिप्ट लिखने में है !

आइये जानते है कैसे :  

* जैसे सब्जी बनाते समय सबसे पहले सब्जी को धोया जाता है,साफ़ किया जाता है और फिर काटा जाता है !

वैसे ही पहले आपको  किताब या मूवी में सबका परिचय करवाना पड़ता है फिर एक-एक करैक्टर के स्वभावो के बारे में बताना पड़ता है  !

* फिर कड़ाई  की मदद से तेल गरम किया जाता है  और बगार लगाया जाता है !

वैसे ही कहानी को भी धीरे धीरे आगे बढ़ाया जाता है और असली मैसेज को बहार निकलने की कोशिश की जाती है !

* फिर तेल गरम होने पर कड़ाई में सब्जी डाल देते है और उसे चटपटा बनाने के लिए उसमे मसाले मिला दिए जाते है !

वैसे ही स्क्रिप्ट को भी चटपटी बनाने के लिए उसमे Love/ Romance/ Tragedy/ Suspense/Music के मसालों को मिला दिया जाता है !

* फिर सब्जी को करची से हिलाते है और ढंडी आंच में पकने देते है ताकि सभी मसाले सही तरीके से मिक्स हो सके  !

वैसे ही बुक या स्क्रिप्ट में भी सभी Love/ Romance/ Tragedy/ Suspense/Music के मसालों को मिलाया जाता है ताकि Love का Reaction ,Comedy की sequence सभी आपस में सही तरीके से मिक्स हो जाये !

* अंत में उसे सावधानी से उतारकर प्लेट में या थाली में सजाया जाता है !

वैसे ही बुक या मूवी स्क्रिप्ट के अंत में भी मैसेज का उद्देश्य दिखाकर Happy Ending  कर दी जाती है !


इस तरह मैंने सब्जी बनाने की पूरी प्रोसेस को समझा और जब उनकी सब्जी तैयार हो गयी तो मैं किचन से बाहर आ गया और टेबल पर आकर खाने का इंतज़ार करने लग गया !

*जब मम्मी बाउल में सब्जी सजाकर लाई तो मुझे धयान आया की हाँ यार बिना सही डेकोरेशन और सही तरह से पेश करने के बिना तो खाने में मजा ही नहीं आता!

 वैसे ही जैसे कोई स्क्रिप्ट कितनी भी अच्छी क्यों न हो मगर यदि उसकी Proper Marketing  न की जाये तो पूरा काम बेकार हो जाता है !

*आखिर में जब मैंने सब्जी की तारीफ की और दोनों (मम्मी और मैडम) दोनों के चेहरों पर ख़ुशी आ गयी!

तो मुझे अहसास हुआ की हा यार ऐसा ही तो होता है हीरो,राइटर, हीरोइन सबने मेहनत  की पर उन्हें मजा तो तब ही आएगा जब पब्लिक उनकी  बुक या मूवी को पसंद करेगी!


अगर सब्जी बनाने में कोई गलती हुई हो तो माफ़ करना क्योंकी मैं लिख तो सकता हुँ की सब्जी कैसे बनती है पर सच में मुझे बनाना नहीं आती इसलिए मेरे हाथ की सब्जी खाने की उम्मीद मत रखना sorry for that .............. 

Monday 8 September 2014

"Artistic नाई "


अरे यार बाल बहुत बड़े हो गए है!यही सोचकर मैं अपनी कॉलोनी के नाई के पास बाल कटवाने पहुंच गया! जब में वहा पंहुचा तो राजू काका पहले से किसी की हजामत बना रहे थे! उन्होंने मुझे 10 मिनट वेट करने को कहा और दुबारा हजामत करने में बिजी हो गए! जब वो हजामत बनाकर फ्री हुए और उन्होंने मुझे Hot Seat पर बैठाया तो मैने बैठते ही काका से उनका हाल चाल पुछा! उन्होंने कहा  "बस यार कट रही है मालिक की दुआ सेतो मैंने ऐसे ही मजाक में कह दिया क्या काका क्यों मजाक करते हो आप तो बढ़िया काम करते हो, कमाई भी बढ़िया ही होती होगी !  

तो  कहने लगे अरे नहीं भैया,बड़ी मुश्किल से गुजर बसर हो पाता है! क्या हैं ना अपन Artistic आदमी है ज्यादा भीड़ भाड़ पसंद नहीं करते ! पहले भी जहाँ मेरी  दुकान थी वहाँ भी अक्सर लोग कहा करते थे काका आप खुद बाल मत काटा करो वरना हर ग्राहक आपसे ही बाल कटवाएगा! जब मैंने कारण पुछा तो कहने लगे काका आपका काम बहुत बढ़िया है आपके जैसा  काम Area में कोई दूसरा नही करता! उन्होंने तो यहाँ तक कहा था की गली की जगह चौराहे पर दुकान डालो ज्यादा चलेगी! मगर अपन ने तो साफ़ कह दिया  नहीं यार, अपन तो गली में ही दुकान डालेंगे जितने आयेगे उतनो की हजामत बनायेगे साला मैन रोड पर बैठ गए तो भीड़ लग जाएगी अब इस उम्र में कौन माथा पच्ची में पड़े सबकी करने जाओ तो  ART  काम नहीं करता !

मैंने मन ही मन सोचा की काका को बोलू की काका अगर Artist हो तो आप क्यों काम करते हो लड़को को रखो उन्हें महीने दो महीने काम सिखाओ थोड़े ही समय में वो आपकी तरह कटिंग बनाने लग जायेगे! आप बूढ़े हो10 घंटे काम नहीं कर सकते, सही है पर चार हट्टे कट्टो को रखो और अपने जैसा बना दो फिर वो 40 घंटे (4 *10) काम करेंगे आपका मुनाफा बढ़ेगा और हुनर भी सिखाने से निखरेगा और आपको बैठकर कुछ नया सोचने को मिलेगा
कंपनिया यही तो करती है बिज़नेस शुरू करती है उसे लोगो को सिखाती है फिर एम्प्लॉई काम करता है और मालिक उन पर ध्यान देता है और उनके लिए नए नए अवसर खोजता रहता है ! क्योकि वो Free है !

मैं  कहना तो चाहता था मगर उसके पहले ही काका  बोल उठे बेटा ज्यादा काम बुरा है तो फालतू बैठना भी बुरा है!  सुना नहीं तुमने खाली दिमाग शैतान का घर होता है !

मैं कहना तो चाहता था की काका अगर आपका दिमाग चालू  (Working Condition) में है तो वो शैतान नहीं भगवान का घर है जिसमे लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ रहती है!


मगर मैंने उनसे कुछ नहीं कहा और पैसे देकर घर वापस आ गया!क्योकि मैं जान चूका था की सिर्फ 10 मिनट में मैं उनकी सदियों की सोच को नहीं बदल सकता!