कल शाम को जब में काम करके थक गया और बोर हो रहा था तो मैं किचन में पहुंच गया जहा पहले ही मेरी मम्मी और वाइफ मौजूद थी! जो शायद सब्जी बनाने की तैयारी कर रही थी ! अब में फ्री तो था ही इसलिए मैं भी किचन में ही बैठ गया सोचा कुछ नहीं तो चलो यही देखते है की सब्जी कैसे बनती है !
जब में उन्हें सब्जी बनाते देख रहा था तो मुझे ऐसा महसूस हुआ की यार सब्जी बनाना भी तो किसी मूवी की स्क्रिप्ट या किताब लिखने जैसा ही काम है और सब्जी बनाने के जिस काम को अब तक मैं आसान समझ रहा था मुझे समझ अाया की उसमे भी उतने ही कोम्प्लिकेशन है जितने की एक स्क्रिप्ट लिखने में है !
आइये जानते है कैसे :
* जैसे सब्जी बनाते समय सबसे पहले सब्जी को धोया जाता है,साफ़ किया जाता है और फिर काटा जाता है !
वैसे ही पहले आपको किताब या मूवी में सबका परिचय करवाना पड़ता है फिर एक-एक करैक्टर के स्वभावो के बारे में बताना पड़ता है !
* फिर कड़ाई की मदद से तेल गरम किया जाता है और बगार लगाया जाता है !
वैसे ही कहानी को भी धीरे धीरे आगे बढ़ाया जाता है और असली मैसेज को बहार निकलने की कोशिश की जाती है !
* फिर तेल गरम होने पर कड़ाई में सब्जी डाल देते है और उसे चटपटा बनाने के लिए उसमे मसाले मिला दिए जाते है !
वैसे ही स्क्रिप्ट को भी चटपटी बनाने के लिए उसमे Love/ Romance/ Tragedy/ Suspense/Music के मसालों को मिला दिया जाता है !
* फिर सब्जी को करची से हिलाते है और ढंडी आंच में पकने देते है ताकि सभी मसाले सही तरीके से मिक्स हो सके !
वैसे ही बुक या स्क्रिप्ट में भी सभी Love/ Romance/ Tragedy/ Suspense/Music के मसालों को मिलाया जाता है ताकि Love का Reaction ,Comedy की sequence सभी आपस में सही तरीके से मिक्स हो जाये !
* अंत में उसे सावधानी से उतारकर प्लेट में या थाली में सजाया जाता है !
वैसे ही बुक या मूवी स्क्रिप्ट के अंत में भी मैसेज का उद्देश्य दिखाकर Happy Ending कर दी जाती है !
इस तरह मैंने सब्जी बनाने की पूरी प्रोसेस को समझा और जब उनकी सब्जी तैयार हो गयी तो मैं किचन से बाहर आ गया और टेबल पर आकर खाने का इंतज़ार करने लग गया !
*जब मम्मी बाउल में सब्जी सजाकर लाई तो मुझे धयान आया की हाँ यार बिना सही डेकोरेशन और सही तरह से पेश करने के बिना तो खाने में मजा ही नहीं आता!
वैसे ही जैसे कोई स्क्रिप्ट कितनी भी अच्छी क्यों न हो मगर यदि उसकी Proper Marketing न की जाये तो पूरा काम बेकार हो जाता है !
*आखिर में जब मैंने सब्जी की तारीफ की और दोनों (मम्मी और मैडम) दोनों के चेहरों पर ख़ुशी आ गयी!
तो मुझे अहसास हुआ की हा यार ऐसा ही तो होता है हीरो,राइटर, हीरोइन सबने मेहनत की पर उन्हें मजा तो तब ही आएगा जब पब्लिक उनकी बुक या मूवी को पसंद करेगी!
अगर सब्जी बनाने में कोई गलती हुई हो तो माफ़ करना क्योंकी मैं लिख तो सकता हुँ की सब्जी कैसे बनती है पर सच में मुझे बनाना नहीं आती इसलिए मेरे हाथ की सब्जी खाने की उम्मीद मत रखना sorry for that ..............
*जब मम्मी बाउल में सब्जी सजाकर लाई तो मुझे धयान आया की हाँ यार बिना सही डेकोरेशन और सही तरह से पेश करने के बिना तो खाने में मजा ही नहीं आता!
वैसे ही जैसे कोई स्क्रिप्ट कितनी भी अच्छी क्यों न हो मगर यदि उसकी Proper Marketing न की जाये तो पूरा काम बेकार हो जाता है !
*आखिर में जब मैंने सब्जी की तारीफ की और दोनों (मम्मी और मैडम) दोनों के चेहरों पर ख़ुशी आ गयी!
तो मुझे अहसास हुआ की हा यार ऐसा ही तो होता है हीरो,राइटर, हीरोइन सबने मेहनत की पर उन्हें मजा तो तब ही आएगा जब पब्लिक उनकी बुक या मूवी को पसंद करेगी!
अगर सब्जी बनाने में कोई गलती हुई हो तो माफ़ करना क्योंकी मैं लिख तो सकता हुँ की सब्जी कैसे बनती है पर सच में मुझे बनाना नहीं आती इसलिए मेरे हाथ की सब्जी खाने की उम्मीद मत रखना sorry for that ..............