Monday 5 January 2015

कौन अपना कौन पराया




अरे सुनो हम गाँव जा रहे है तो वहां तुम सबके साथ बढ़े प्यार से रहना,सबकी बात मानना,मम्मी पापा की Respect करना,जाते ही सबके पैर छूना समझी-राहुल ने प्रिया को समझाइश देते हुए कहा !

अरे बस-बस कितना बोल रहे हो प्रिया ने राहुल को टोकते हुए कहा मैं क्या कोई विदेश से आई गुड़िया हूँ!
जो मुझे कुछ भी पता न हो की क्या करना है, क्या नहीं ? मुझे सब पता है तुम टेंशन मत लो- प्रिया ने चिढ़ते हुए कहा और सूटकेस ज़माने में बिजी हो गई !

दरअसल राहुल और प्रिया की नई-नई शादी हुई थी और मुम्बई में अपनी जॉब के चलते शादी के एक साल बाद राहुल और प्रिया पहली बार अपने घर जा रहे थे! राहुल के घर में वैसे भी गिने चुने 3 लोग ही तो थे! मम्मी, पापा और वो खुद जिसमे भी राहुल तो कभी घर में रहा ही नही पहले पढ़ाई के चक्कर में घर से दूर था तो अब जॉब के चलते घरवालो से दूर हो गया था! मगर आज वो अपने घर जा रहा था और मम्मी पापा को सरप्राइज देने के लिए उसने काफी सारे गिफ्ट लिए थे जो प्रिया ने सूटकेस में रखे या नहीं ये वो कम से कम 10 बार पूछ चूका था ! वैसे तो राहुल के एक ही सवाल को बार बार पूछने पर प्रिया को चिढ़ मच रही थी मगर राहुल के चेहरे पर Excitement और ख़ुशी देखकर प्रिया ने उसे कुछ नहीं कहा और दोबारा सूटकेस Reopen करके राहुल को सारे गिफ्ट दिखाए जो वो मम्मी पापा को देने के लिए लाया था और फिर राहुल को खुश होता देख प्रिया भी मुस्कुराने लगी !

हवाई जहाज और कार के सफर ने सफर को छोटा बना दिया और कुछ ही घंटो में प्रिया और राहुल गाँव पहुंच गए और मम्मी-पापा से बाते करने और उन्हें गिफ्ट दिखने में बिजी हो गए! मम्मी बहुत खुश थी क्योकि राहुल को उन्होंने पुरे एक साल बाद देखा था जबकि प्रिया से तो ये उनकी Informally पहली ही मुलाकात थी! जिससे अपने बेटे-बहु के साथ होने की ख़ुशी उनके चेहरे पर बार-बार आँसुओ के रूप में झलक रही थी! वैसे तो राहुल के पापा भी खुश थे पर क्या करते पापा तो पापा ठहरे हमारे यहाँ पापा के इमोशनल होने का रिवाज नहीं है इसलिए वो मम्मी का रोने में साथ नहीं निभा रहे थे ! हाँ आँखे उनकी भी नम थी मगर वो रो नहीं रहे थे बल्कि उन्हें तो इस बात की ख़ुशी थी की राहुल इस बार पुरे 20 दिनों के लिए आया है! क्योकि राहुल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और उसे कंपनी ने अभी कोई नया प्रोजेक्ट अलॉट नहीं किया था इसलिए वो पुरे 20 दिनों के लिए इस बार गाँव आया था!

पुराने दोस्तों,रिश्तेदारो,गाँव में अलग-अलग जगह घूमने में ही राहुल और प्रिया के 20 दिन कब पुरे हो गए उन्हें पता ही नहीं चला! इन 20 दिनों में राहुल की इज़्ज़त अपने गाँव में और बढ़ गई थी क्योकि इन 20 दिनों में एक बार भी राहुल ने पापा की किसी बात को नहीं टाला,वो जहाँ-जहाँ बोलते राहुल उनके साथ मिलने जाता उनकी हर बात मानता,अपने जिस भी किसी परिचित से पापा राहुल को मिलाते राहुल तुरंत उनके पैर छूता यही सब देखकर अब गाँव में राहुल की इज़्ज़त और बढ़ चुकी थी और अब सभी राहुल जैसा लायक बेटा बनने  की सलाह अपने बच्चो  को देते रहते ! कुल मिलकर इन 20 दिनों में राहुल पुरे गाँव का आदर्श बेटा बन चूका था ! जो अपने मम्मी-पापा की कोई बात नहीं टालता था ! हाँ  प्रिया की जरूर घर में एक दो बार नोक-झोक हुई मगर वो भी इतनी छोटी की कब सुलझ गई किसी को पता ही नहीं चला ! 20 दिन हँसते खेलते यू बीत गए मानो कल की बात हो !

 अगले दिन सुबह सुबह ही राहुल और प्रिया को मुंबई के लिए रवाना होना था इसलिए वो दोनों अपने कमरे में सूटकेस ज़माने में बिजी थे और जैसे आज से 20-21 दिन पहले राहुल प्रिया से गिफ्ट सूटकेस में रखे या नहीं ये पूछ रहा था! वही आज वो इस चीज की तसल्ली कर लेना चाहता था की मम्मी के दिए लड्डू और मठरी प्रिया ने बैग में रखे या नहीं !

 राहुल को इस तरह खुश देखकर प्रिया ने मुस्कुराकर राहुल से कहा " राहुल, क्यों न हम मम्मी पापा को भी अपने साथ मुंबई ले चले वो भी हमारे साथ वही रहेंगे, सब साथ रहेंगे बड़ा मजा आएगा फिर लड्डू का डब्बा राहुल को दिखाते हुए बोली तुम्हे ये पसंद है न मम्मी वहाँ होगी तो जब तुम्हारा लड्डू खाने का मन करे बोल देना वो बना देगी !

अरे प्रिया, कैसी बात करती हो? क्या करेंगे वो वहा आकर,गाँव में आराम से ही तो रह रहे है किस चीज़ की कमी है यहाँ उन्हें मैं हर महीने पैसे भी भेजता रहता हुँ ! नहीं-नहीं मम्मी-पापा हमारे साथ नहीं आयेगे! राहुल ने अपना फैसला प्रिया को सुनते हुए कहा

नहीं राहुल,मेरी बात तो सुनो इन 20 दिनों में मुझे महसूस होने लगा है की पिछले एक साल में हमने क्या खोया है! मुझे इन 20 दिनों में मम्मी-पापा के साथ रहकर ये अहसास होने लगा है कि घर और मकान में बहुत फर्क है और मैं चाहती हुँ की हम भी अपने मकान को घर बनाये और मम्मी-पापा के साथ रहे !

प्रिया,बेवकुफो जैसी बाते मत करो राहुल ने चिढ़ते हुए कहा "अरे यार देखो मेरा दिमाग ख़राब मत करो 15-20 दिनों के लिए साथ रहना,सबकी बात मानना,सबको adjust कर लेने में प्रॉब्लम नहीं आती मगर हमेशा साथ रहना अलग बात है! तुम्हे याद है जब हम यहाँ के लिए आ रहे थे तो मैने तुम्हे कितनी बाते सिखाई थी!समझो प्रिया,15-20 दिन सब adjust हो जाता है फिर नहीं हो पाता,समझो यहाँ मैं mindset करके आया हूँ!जो घरवाले बोलेगे वो करुगा वहाँ थोड़े ही होगा मुझसे ये सब और फिर तुम्हारी भी जॉब है अगर मम्मी-पापा ने वहा आकर तुम्हे जॉब नहीं करने दी तो नहीं-नहीं हम न तो रुक सकते है न ही मम्मी पापा को अपने साथ ले जा सकते है! तुम ये साथ रहने का भूत अपने सर से उतार दो हाँ अगर तुम्हे यहाँ इतना अच्छा लगा तो अगली बार से हम हर 6-6 महीने में आते जाते रहेंगे!                
 
 कैसी बात कर रहे हो राहुल मम्मी-पापा दोनों को पता है की में वहा जॉब करती हुँ तो उन्हें क्यों Problem होने लगी! मैं तो कहती हुँ तुम ये सब बेकार की बाते छोड़ो और मम्मी को भी बैग पैक करने का बोल दो !

Stop it Priya ,तुम्हे क्या एक बार में मेरी बात समझ नहीं आती?- राहुल ने चिल्लाते हुए कहा

अब ध्यान से सुनो न तो मम्मी-पापा हमारे साथ चल रहे है और न ही तुम अब इस बारे में घर में किसी से बात करोगी, समझी! प्रिया ने कोई जवाब नहीं दिया और चुप-चाप सोफे पर बैठी रही! वही पापा भी कमरे के बाहर खिड़की से टिक कर चुपचाप खड़े हाथो में अचार से भरी एक बर्नी थामे अपने बेटे-बहु की बाते सुन रहे थे! फिर अचार दिए बिना ही दोबारा अपने कमरे में आ गए और पलंग पर आकर बैठ गए!अपने पति के हाथ में अचार की बर्नी देखकर राहुल की माँ भी अपने पति के पास आकर बैठ गई और बोली "सुनो जी,राहुल अभी तो आया था और अब कल जा भी रहा है मेरा तो मन ही नहीं भराया मैं क्या कहती हूँ,आप राहुल से बात करो न वो क्या है प्रिया न कुछ नए ख्यालात की है अगर उसे कुछ प्रॉब्लम न हो तो क्यों न हम ही कुछ दिनों के लिए उनके पास मुंबई चले! आप रिटायर तो हो ही चुके हो फिर हमारा एक ही तो बेटा है हम वहां रहे या गाँव में क्या फर्क पड़ता है !

राहुल तो अपना है उसे तो हमारे वहाँ आने से ख़ुशी ही होगी !हाँ प्रिया जरूर पराई है अगर उसे कुछ ..........
इससे पहले राहुल की मम्मी कुछ और कहती पापा तुरंत बोल पड़े वो मेरी बेटी है और आज में जान गया हूँ कि कौन अपना है और कौन पराया !
   

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